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Read moreन्यूज़ पोर्टल के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया: पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले और इसमें रूचि रखने वाले लोगों के लिए ये ब्लॉग विशेष रहने वाला है क्योंकि हम आज इसमें न्यूज़ पोर्टल के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में बात करने वाले हैं। एवं न्यूज़ पोर्टल रजिस्ट्रेशन से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में बात करने वाले हैं जिसके बारे में युवा पत्रकारों को बिलकुल भी जानकारी नहीं है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ? न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
जैसा कि आप जानते हैं तमाम अख़बार, मैगजीन एवं न्यूज़ चैनल खुद को बड़ा ब्रांड बनाने के लिए सरकारी रजिस्ट्रेशन कि प्रक्रिया अपनाते हैं। लेकिन मॉडर्न मीडिया यानी के डिजिटल पत्रकारिता से जुड़ी चीजें जैसे कि न्यूज़ पोर्टल , यूट्यूब चैनल के लिए भी ये उतना ही जरूरी है या नहीं इसके बारे में अक्सर लोगों को जानकरी नहीं होती है। इस सम्बन्ध में एक नाम आता है RNI , जिसमें पत्रकरों को रूचि लेते देखा जा सकता है। लेकिन हम आपको बता दें कि एक न्यूज़ पोर्टल को RNI रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत नहीं है।
RNI का मतलब होता है “( Registrar of Newspaper of India )” यानी की इसका न्यूज़ पोर्टल से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि संचार और सूचना मंत्रालय द्वारा न्यूज़ पोर्टल के लिए RNI रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है। यहां तक कि Google को भी इससे कोई समस्या नहीं है, यह सभी को किसी भी माध्यम से चाहे वह सोशल मीडिया हो या वेबसाइट, इंटरनेट पर स्वतंत्र रूप से जानकारी साझा करने की अनुमति देता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप बिना रजिस्ट्रेशन के दौड़ते हैं। हालाँकि यदि आप अपने न्यूज़ पोर्टल का कानूनी रूप से उपयोग करना चाहते हैं तो आप इसे एमएसएमई(MSME) या जनसंपर्क कार्यालय में पंजीकृत कर सकते हैं।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
RNI रजिस्ट्रेशन उन लोगों को करवाना होगा जो एक ही समय में एक प्रिंट मीडिया (समाचार पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तिकाएं) और एक समाचार पोर्टल चलाना चाहते हैं। अब अगर आप खुद को इस श्रेणी में पाते हैं तो चलिए जानते हैं इसके प्रोसेस के बारे में।
RNI का मतलब है “( Registrar of Newspaper of India )” , यानी कि भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार का कार्यालय जो भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार (आरएनआई) के रूप में जाना जाता है। यह प्रकाशनों के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भारत सरकार का वैधानिक तरीका है। साल 1953 में भारत के प्रथम प्रेस आयोग की सलाह पर और प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 में संशोधन किया गया जिसे आधिकारिक रूप से 1 जुलाई 1956 को अधिनियम में जोड़ा गया।
इसका कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है। RNI मुख्य रूप से प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट, 1867 और न्यूजपेपर्स (सेंट्रल) रूल्स, 1956 के आधार पर अखबारों की प्रिंटिंग और बुक की वीडियो डिस्प्ले यूनिट्स को रेगुलेट और वीडियो डिस्प्ले करता है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
RNI रजिस्ट्रेशन करना बहुत ही आसान है जिससे आप आसानी से अप्रूवल प्राप्त कर सकते हैं। सबसे पहले, आपको अपने न्यूज पेपर, मैगजीन, न्यूज पोर्टल आदि का टाइटल वेरिफिकेशन करना होगा। जिसके लिए आपको अखबार के पांच नाम पहले से तैयार करने होंगे। आपके द्वारा चुना गया नाम ऐसा होना चाहिए कि आज तक किसी ने इसका इस्तेमाल न किया हो और न ही उस नाम से कोई अख़बार या पत्रिका प्रकाशित हुई हो।
सबसे पहले आपको 5 नाम चाहिए जिन्हें आप वेरीफाई करना चाहते हैं
स्वामी के आधार कार्ड की स्कैन कॉपी
मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो 6 महीने पुराना नहीं होना चाहिए
मालिक का भारतीय मोबाइल नंबर
मालिक का पता प्रमाण दस्तावेज
भौतिक पता जहां से समाचार पत्र प्रकाशित किया जाएगा
RNI रजिस्ट्रेशन का फॉर्म कैसे भरें
Step 1: आरएनआई की आधिकारिक वेबसाइट www.rni.nic.in पर लॉग ऑन करें।
Step 2: “आरएनआई दिशानिर्देश” के तहत शीर्षक सत्यापन के लिए दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
Step 3: वेबसाइट के होम पेज पर ऑनलाइन शीर्षक आवेदन के लिंक पर क्लिक करें।
Step 4: ऑनलाइन आवेदन भरने के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और आवेदन करने के लिए आगे बढ़ें।
Step 5: सभी अनिवार्य फ़ील्ड भरें (आवेदन भरते समय कार्यात्मक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रदान की जानी चाहिए)।
Step 6: आवेदन करें और विधिवत भरे हुए आवेदन पत्र का प्रिंटआउट लें।
(आवेदन को फिर से प्रिंट करने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो मुद्रित कोड नोट करें।)
Step 7: आवेदन को संबंधित प्राधिकरण (डीएम / डीसी / एसडीएम / डीसीपी / जेसीपी / सीएमएम आदि) को भेजें।
(i) दिल्ली क्षेत्र में डीसीपी एकमात्र अग्रेषण प्राधिकरण होगा।
Step 8: आवेदन को संबंधित प्राधिकारी द्वारा उचित नाम, हस्ताक्षर और अग्रेषण प्राधिकारी की मुहर के साथ आरएनआई को अग्रेषित किया जाएगा।
(i) आरएनआई संबंधित प्राधिकारी द्वारा विधिवत अग्रेषित हार्ड कॉपी प्राप्त होने पर ही आवेदन पर कार्रवाई करेगा।
(ii) आवेदक को सलाह दी जाती है कि वे विधिवत हस्ताक्षरित आवेदन की एक प्रति अपने पास रखें और भविष्य के संदर्भ के लिए आरएनआई को अग्रेषित करें।
Step 9: आरएनआई द्वारा संबंधित प्राधिकारी को अग्रेषित आवेदन की हार्ड कॉपी प्राप्त होने के बाद, आवेदक को उसके मोबाइल नंबर और ईमेल पर भेजे गए आरएनआई संदर्भ संख्या (आवेदन संख्या) के माध्यम से आवेदन प्राप्त होने की सूचना दी जाएगी।
Step 10: आवेदक को भविष्य की किसी भी जांच के लिए आरएनआई संदर्भ संख्या को सहेजना चाहिए।
Step 11: आवेदक आरएनआई वेबसाइट पर आवेदन की स्थिति की जांच या तो अग्रेषण प्राधिकारी द्वारा दिए गए डीएम नंबर या आरएनआई संदर्भ संख्या प्रदान करके कर सकता है।
Step 12: आवेदक आरएनआई की आधिकारिक वेबसाइट से शीर्षक सत्यापन पत्र / शीर्षक गैर-अनुमोदन पत्र / विसंगति पत्र भी डाउनलोड कर सकते हैं।
शीर्षक सत्यापित होने के बाद, शीर्षक के डी-ब्लॉकिंग / रद्दीकरण को रोकने के लिए, सत्यापन की तारीख से दो साल के भीतर आवेदक को शीर्षक के डी-ब्लॉकिंग/निरस्तीकरण को रोकने के लिए रजिस्टर होना होगा।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
MSME रजिस्ट्रेशन भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसमें सूक्ष्म, लघु-मध्यम वर्ग के उद्यमी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन कर सकते है। इसके दो भाग हैं; विनिर्माण उद्यमी और सेवा उद्यमी, और इसका रजिस्ट्रेशन इसके लिए पंजीकरण निःशुल्क है।
भारत में, MSME रजिस्ट्रेशन के लिए विभिन्न श्रेणियां विभाजित हैं। सभी श्रेणियों को निवेश के आधार पर बांटा गया है। आपके व्यवसाय में शामिल उपकरणों और मशीनरी की कीमत के अनुसार आपकी श्रेणी तय की जाती है।
सूक्ष्म निवेश 25 लाख रुपये से कम होना चाहिए
छोटा निवेश 5 करोड़ रुपए से कम होना चाहिए
मध्यम निवेश 10 करोड़ रुपये से कम होना चाहिए
सूक्ष्म निवेश 10 लाख रुपये से कम होना चाहिए
छोटा निवेश 2 करोड़ रुपए से कम होना चाहिए
मध्यम निवेश 5 करोड़ रुपये से कम होना चाहिए
आत्मनिर्भर भारत के मिशन के बाद, इन मानदंडों को भारत सरकार द्वारा संशोधित किया गया है। भारत सरकार ने MSME रजिस्ट्रेशन के दो तरिके निर्धारित किए हैं। ये तरीके इस प्रकार हैं:
उन नए उद्यमियों के लिए जिन्होंने MSME में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है
और उनके लिए है जिन्होंने EM-II या UAM के रूप में पंरजिस्टर किया है या यह उन लोगों के लिए जो EM-II के रूप में रजिस्टर करना चाहते हैं
MSME के रजिस्ट्रेशन के लिए आपके पास सिर्फ आधार कार्ड होना जरूरी है। पूरा पंजीकरण ऑनलाइन होगा इसलिए हम समय-समय पर अपने ग्राहकों के साथ सभी अपडेट साझा करते हैं। पैन और जीएसटी से संबंधित विवरण सीधे उत्तम पंजीकरण पोर्टल से लिए जाते हैं। तो आपको किसी भी विवरण के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन(ISO) एक प्रमाणन है जो प्रमाणित करता है कि एक दस्तावेज़ीकरण, निर्माण प्रक्रिया, निर्माण प्रणाली, या सेवा में गुणवत्ता आश्वासन और मानकीकरण के लिए सभी आवश्यकताएं हैं। यह मुख्य रूप से उत्पादों और प्रणालियों की गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करता है।
ISO रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज
कंपनी की प्रोफाइल
कंपनी का लेटरहेड
बिक्री और खरीद बिल की प्रति
कंपनी का पता प्रमाण
कंपनी का पैन कार्ड
कंपनी का विजिटिंग कार्ड
भारत में ISO रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया के लिए एक पूर्व निर्धारित प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, हमने निम्नलिखित में पूरी प्रक्रिया के चरणों का उल्लेख किया है:
आईएसओ प्रमाणन के प्रकार को चुनना
दस्तावेज़ जमा करना
आईएसओ ऑडिट आपके व्यवसाय के विवरण की जांच या सत्यापन के लिए, तीन प्रकार के ऑडिट होते हैं। पहली पार्टी, दूसरी पार्टी और तीसरी पार्टी।
कूरियर के माध्यम से प्राप्त आईएसओ प्रमाण पत्र भी आपको वर्ष में एक बार अपने आईएसओ को नवीनीकृत करने की आवश्यकता है। अगर आप भूल जाते हैं कि हम इससे भी छुटकारा पाने में आपकी मदद करेंगे, तो आप हमसे संपर्क करें।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पंजीकरण उन लोगों के लिए पसंद किया जाता है जो एक छोटा व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं। एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में पंजीकरण करने के लिए, इसमें कम से कम दो निदेशक और दो शेयरधारक होने चाहिए।
Step 1. एक डीएससी (डिजिटल हस्ताक्षर) प्राप्त करना
Step 2. डीआईएन के लिए आवेदन (प्रत्यक्ष पहचान संख्या)
Step 3. कंपनी के नाम की स्वीकृति
Step 4. SPICe का फॉर्म जमा करना
Step 5. ई-एओए (आईएनसी-34) और ई-एमओए (आईएनसी-33)/इलेक्ट्रॉनिक ज्ञापन प्रस्तुत करना
Step 6. पैन और टैन जमा करना
इन सभी तरीकों से आप अपने न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। साथ ही आपको कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना है ताकि आप पर क़ानूनी कार्यवाई ना हो जैसे कि:
आपको भ्रामक खबरें नहीं प्रकाशित करनी है
किसी दूसरे द्वारा रजिस्टर किया हुआ नाम इस्तेमाल नहीं करना है
आप अपने निजी लाभ के लिए “प्रेस” शब्द लिखकर नहीं घूम सकते
न्यूज़ पोर्टल का इस्तेमाल आप किसी का नाम खराब करने के लिए या किसी विशेष के ही प्रमोशन के लिए नहीं कर सकते
निजी जानकारी वाली खबरों में विशेष ध्यान देना है
ऐसी जानकारी जो पब्लिक नहीं की जानी चाहिए उसे निजी हित के लिए इस्तेमाल नहीं करना है
Also: RNI Registration for Online News Portal in 2024
अगर आप उपरोक्त चीजों पर ध्यान नहीं देंगे तो आप पर google एवं भारत सरकार द्वारा कार्यवाई की जा सकती है। अगर आप न्यूज़ पोर्टल बनवाना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।
UP Politics: बसपा नेता शाह आलम गुड्डू जमाली ने कहा कि 2024 का चुनाव देश के लिए काफी अहम है. हम संकल्प लेते हैं कि प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर कब्जा कर मायावती को प्रधानमंत्री बनाएंगे.
BSP leader Guddu Jamali claims Mayawati will become Prime Minister in lok sabha election 2024 ann UP Politics: ऐसा हुआ तो 2024 में मायावती बनेंगी प्रधानमंत्री, बसपा नेता गुड्डू जमाली ने किया दावा
UP Politics: उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी अनुसूचित जाति और मुस्लिम के साथ पिछड़ों और अति पिछड़ों को भी अपने पक्ष में करने की मुहिम में जुट गई है, जिसके लिए चौहान सम्मेलन के जरिए पार्टी ने नया समीकरण साधने की कोशिश तेज कर दी हैं. बसपा की ओर से आजमगढ़ में चौहान युवा मंच व अखिल भारतीय चौहान महासभा के तत्वाधान में विधानसभा क्षेत्र मुबारकपुर के शाहगढ के एक मैरिज हाल में रविवार को एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया.
बसपा के इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली और विशिष्ट अतिथि पूर्व एमएलसी डॉक्टर विजय प्रताप, हरिशचंद्र गौतम, वीरेंद्र चौहान ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में गुड्डू जमाली ने दावा किया कि 2024 का चुनाव बहुत अहम होने जा रहा है. इन चुनावों में बसपा की जीत होगी और बहन मायावती देश की प्रधानमंत्री बनेंगी. उन्होंने कहा कि देश में भाईचारा बना कर रखें, एक दूसरे की मदद कनेर से ही देश का भला होगा.
इस कार्यक्रम की शुरुआत में डॉक्टर भीम राव अंबेडकर बाबा साहब, सम्राट पृथ्वीराज चौहान और मान्यवर कांशी राम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि एवं पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली ने कहा कि यह एक विचार गोष्ठी कार्यक्रम है. इसमें समाज को जागरूक होने की जरूरत है. समाज को शिक्षा के प्रति ईमानदारी रखनी होगी. तभी समाज अपने हक की लड़ाई लड़ सकेगा. बाबा साहब ने समाज के सभी लोगों को एक बड़ी ताकत दिया हैं. अपने महापुरुषों के बलिदान को याद कीजिए. देश में भाई चारा बनाए रखें. एक दूसरे की मदद करे तभी इस देश का भला हो सकता हैं.
शाह आलम गुड्डू जमाली ने कहा कि 2024 का चुनाव देश के लिए काफी अहम है और आज हम सब यहां संकल्प लेते हैं कि लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सदर सीट सहित उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटों पर कब्जा करके बहन कुमारी मायावती जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे. उन्होंने हाल में आजमगढ़ दौरे पर आए गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी के बयानों पर कहा कि हर राजनीतिक दल के नेता अपने पक्ष की बात करते हैं उन्होंने भी किया, इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
अपने लक्षित दर्शकों की पहचान करें और ऐसी सामग्री बनाएं जो उन्हें आकर्षित करे । एक डोमेन नाम और होस्टिंग चुनें: एक ऐसा डोमेन नाम चुनें जो आपके ब्रांड को दर्शाता हो और याद रखने में आसान हो। अपनी वेबसाइट होस्ट करने के लिए वेब होस्टिंग सेवाएँ खरीदें। एक सामग्री रणनीति विकसित करें: अपनी सामग्री की योजना बनाने के लिए एक संपादकीय कैलेंडर बनाएं।
एक समाचार पोर्टल समाचारों तक पहुंच का एक माध्यम है; इसे आम तौर पर समाचार स्रोत के लिए इंटरनेट कनेक्शन के रूप में माना जाता है, लेकिन "पोर्टल" की परिभाषा में समाचार पत्र, पत्रिका या समाचार तक कोई अन्य पहुंच शामिल होगी।
Step 1: आरएनआई की आधिकारिक वेबसाइट www.rni.nic.in पर लॉग ऑन करें। Step 2: “आरएनआई दिशानिर्देश” के तहत शीर्षक सत्यापन के लिए दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। Step 3: वेबसाइट के होम पेज पर ऑनलाइन शीर्षक आवेदन के लिंक पर क्लिक करें। Step 4: ऑनलाइन आवेदन भरने के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और आवेदन करने के लिए आगे बढ़ें।
चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) एक भारतीय वकील दलित-बहुजन अधिकार कार्यकर्ता और राजनेता हैं. वह एक अम्बेडकरवादी हैं जो भीम आर्मी के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं (Co-founder and National President of Bhim Army). फरवरी 2021 में, टाइम पत्रिका ने उन्हें 100 उभरते नेताओं की अपनी
वार्षिक सूची में शामिल किया था. चंद्रशेखर आजाद का जन्म 3 दिसंबर 1986 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के छुतमलपुर कस्बे में गोवर्धन दास और कमलेश देवी के यहां हुआ था (Chandrashekhar Azad Family). उनके पिता गोवर्धन दास एक सरकारी स्कूल के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल थे. आजाद एक बहुजन नेता के रूप में गांव के बाहर लगे एक होर्डिंग के बाद चर्चा में आए, जिस पर लिखा था कि "गडखौली के महान चमार आपका स्वागत करते हैं" (The Great Chamars of Ghadkhauli Welcome You). आजाद, सतीश कुमार और विनय रतन सिंह ने 2014 में भीम आर्मी की स्थापना की थी यह संगठन भारत में शिक्षा के माध्यम से दलितों की मुक्ति के लिए काम करता है (Azad, Satish, and Vinay founded Bhim Army). 2019 में, उन्होंने मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने सपा/बसपा गठबंधन को समर्थन देते हुए हाथ खींच लिया. आजाद ने खुद को दलित आइकन के रूप में स्थापित किया है और वह अपनी शैली के लिए जाने जाते हैं. हाथरस रेप केस (Hathras Rape Case) में आजाद और उनके समर्थकों ने लगातार विरोध प्रदर्शन करके अपनी सार्वजनिक मंच पर अपनी उस्थिति दर्ज की. इस दौरान आजाद को उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिरासत में लिया. कृषि बिल (Farm Bills) के विरोध में आजाद अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में शामिल हो गए थे. इस मामले में भी उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया था. आजाद ने चुनावी राजनीति में भाग लेने के लिए 2020 में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) (Azad Samaj Party) की स्थापना की जिसने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया. उन्हें सहारनपुर हिंसा की घटना के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) के तहत गिरफ्तार किया था. दिल्ली में सीएए (CAA) के खिलाफ विरोध मार्च के दौरान चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था. देश की नालायक बीजेपी सरकार ने आजाद पर गलत तरीके से कई गंभीर आरोप लगाया लेकिन आजाद के आगे सरकार को हार मानना पड़ा अ है बहुजन की ताकत हमारी पोस्ट अची लगे तो आगे भेजो और बहुजन को जगाने का काम करें धन्यवाद
(FAQ)
एक वर्डप्रेस वेबसाइट को बनवाने के लिए आपको सबसे पहले होस्टिंग और डोमेन की आवश्यकता होती है। यदि आपके पास पहले से ही डोमेन और होस्टिंग है, तो आप किसी भी वेब डेवलपर से अपनी वेबसाइट को कम से कम 8000-10000 रुपये में बनवा सकते हैं।
सबसे सरल रूप में, एक वेब डिज़ाइनर वह होता है जो किसी वेबसाइट का डिज़ाइन बनाता है। इतना ही। इसे वास्तव में कार्यात्मक बनाने और इंटरनेट पर लाइव करने का कार्य वेब डेवलपर के एक अलग कार्य शीर्षक के अंतर्गत है।
अगर आपने पहले ही प्रोफ़ाइल पर दावा कर दिया है, तो वेबसाइट बनाने के लिए यह तरीका अपनाएं:
अपनी Business Profile पर जाएं. अपनी प्रोफ़ाइल खोजने का तरीका जानें.
अपनी वेबसाइट बनाने के लिए: ...
सबसे ऊपर मौजूद, संपर्क करें टैब चुनें.
"नई वेबसाइट" में जाकर, शुरू करें को चुनें.
इसके बाद खुलने वाले पेज पर, अपनी साइट बनाएं.
आप Acode या QuickEdit जैसे कोड एडिटर ऐप्स का उपयोग करके मोबाइल पर HTML वेबपेज बना सकते हैं। ये ऐप्स आपको सीधे अपने फ़ोन पर कोड लिखने और संपादित करने की अनुमति देते हैं। आप एक नई फ़ाइल बनाते हैं, अपना HTML कोड लिखते हैं, और फ़ाइल को . एचटीएमएल एक्सटेंशन.
इस सवाल का कोई विशेष जवाब नहीं है कि किसी ऐप की कीमत कितनी है क्योंकि यह असंख्य कारकों पर निर्भर करता है। ऐप की जटिलता और सुविधाओं के आधार पर औसत ऐप विकास लागत Rs. 15,000 से Rs. 150,000 के बीच हो सकती है।
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नोट :- यदि आपके पास वेबसाइट बनाने का समय नहीं है तो आप हमे संपर्क करके अपनी जरूरत के अनुसार प्रोफेशनल वेबसाइट बनवा सकते है हमसे संपर्क करने के लिए WhatsApp No. +91 9411066100 पर सदेंश करे।
ब्यूरोः उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में आज यानी सोमवार सुबह एक भीषण हादसा है। हादसे में स्कूल बस और वैन की टक्कर हो गई, जिसमें चालक और 4 बच्चों की मौत हो गई। वहीं, हादसे में 16 बच्चे घायल हुए हैं। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार म्याऊं थाना क्षेत्र में स्कूल बस और वैन में टक्कर हो गई। इस हादसे में बस चालक और 4 छात्रों की मौत हुई है। 16 छात्र घायल बताए गए हैं। इस हादसे की सूचना मिलने पर डीएम मनोज कुमार और पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। घायल बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है और मृत लोगों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
इस हादसे को लेकर डीएम मनोज कुमार ने कहा कि स्कूल बस और वैन की टक्कर में चालक और 4 छात्रों की मौत हुई है और 16 छात्र घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उचित उपचार के लिए चिकित्सकों को निर्देश दिए गए हैं।
Best Paise Kamane wala app (List for November 2023)
Paise Kamane Wala App (रियल पैसे कमाने वाला ऐप) ऑनलाइन ऐप्प रेटिंग
Roz Dhan टास्क्स अप्प 4.1/5
Wonk टीचिंग ऐप 4.9/5
Meesho रे-सेल्लिंग ऐप 4.3/5
mCent रिवॉर्ड ऐप 3.3/5
भारत में नंबर वन पैसा कमाने वाला ऐप 2023 में WinZO Gold है। यह एक कैश गेमिंग ऐप है जो उपयोगकर्ताओं को विभिन्न प्रकार के गेम खेलकर पैसे कमाने की अनुमति देता है। WinZO Gold में कई लोकप्रिय गेम हैं, जिनमें पोकर, रम्मी, लूडो, और कैसीनो गेम शामिल हैं। उपयोगकर्ता गेम जीतकर या अन्य खिलाड़ियों को हराकर पैसे कमा सकते हैं।
मोबाइल से पैसा कमाने वाला ऐप (mobile se paisa kamane wala app) कैश ऑफर्स (Cash Offers
फीविन ऐप (FieWin App) फ्री ₹10 साइन अप बोनस
बिग कैश लाइव (BigCash Live) तत्काल ₹50 real cash बोनस
अप्सटॉक्स इंडिया (Upstox App) रेफरल बोनस कैश ₹750 – ₹1200
मीशो (Meesho App) First order + 20% Extra Off25% कमीशन पर रेफरल
Google AdSense प्रकाशकों को उनकी ऑनलाइन सामग्री से पैसे कमाने का एक तरीका प्रदान करता है । AdSense आपकी सामग्री और विज़िटर के आधार पर आपकी साइट पर विज्ञापनों का मिलान करके काम करता है। विज्ञापन उन विज्ञापनदाताओं द्वारा बनाए और भुगतान किए जाते हैं जो अपने उत्पादों का प्रचार करना चाहते हैं।
कमलेश
चेहरा नीच करके बैठीं एक महिलाइमेज स्रोत,© HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES
चेहरा नीच करके बैठीं एक महिला
दलित युवकों की डंडों से की पिटाई... दलित लड़की के साथ रेप... दलितों के मंदिर में घुसने पर रोक... जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव की ऐसी ख़बरें नई नहीं लगतीं.
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की एक दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और हत्या का मामला भी ऐसी ही एक सुर्खी बनकर आया.
और एक बार फिर दलितों के उत्पीड़न पर सवाल उठने लगे. कहा गया कि आज़ादी के 73 सालों बाद भी आज दलित सामनता के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
हर साल कई ऐसे घटनाएं होती हैं जो दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा की कहानी बयां करती हैं.
राजस्थान में डंगावास में दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा (2015), रोहित वेमुला (2016), तमिलनाडु में 17 साल की दलित लड़की का गैंगरेप और हत्या (2016), तेज़ म्यूज़िक के चलते सहारनपुर हिंसा (2017), भीमा कोरेगांव (2018) और डॉक्टर पायल तड़वी की आत्महत्या (2019), इन मामलों की पूरे देश में चर्चा हुई लेकिन सिलसिला फिर भी रुका नहीं.
इस बात की तस्दीक़ करते हैं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़े, जो बताते हैं कि दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार के मामले कम होने के बजाय बढ़े हैं.
2019 में बढ़े दलितों पर अत्याचार के मामले
एनसीआरबी ने हाल ही में भारत में अपराध के साल 2019 के आँकड़े जारी किए जिनके मुताबिक अनुसूचित जातियों के साथ अपराध के मामलों में साल 2019 में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
जहां 2018 में 42,793 मामले दर्ज हुए थे वहीं, 2019 में 45,935 मामले सामने आए.
इनमें सामान्य मारपीट के 13,273 मामले, अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) क़ानून के तहत 4,129 मामले और रेप के 3,486 मामले दर्ज हुए हैं.
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सिर पर हाथ रखकर बैठा व्यक्तिइमेज स्रोत,HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES
राज्यों में सबसे ज़्यादा मामले 2378 उत्तर प्रदेश में और सबसे कम एक मामला मध्य प्रदेश में दर्ज किया गया.
सबसे बड़ा सवाल- दलितों पर अत्याचार, कुछ तो करो सरकार | Sandeep Chaudhary के साथ LIVE मोदी के न्यू इंडिया मे सबसे बड़े गुनाह 1) दलित होना 2) किसान होना 3) लड़की होना 4) युवा होना
इसके अलावा जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में एससी/एसटी अधिनियम में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराध में साल 2019 में 26.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
जहां 2018 में 6,528 मामले सामने आए थे वहीं, 2019 में 8,257 मामले दर्ज हुए हैं.
दलितों के साथ भेदभाव के मामले भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सामने आ रहे हैं.
कैलिफ़ोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ़ फ़ेयर इंप्लायमेंट और हाउसिंग ने सिस्को कंपनी में एक दलित कर्मचारी के साथ जातिगत भेदभाव करने के चलते 30 जून को मुक़दमा दर्ज कराया था.
इसके एक दिन बाद अमरीका स्थित आंबेडकर किंग स्टडी सर्किल (एकेएससी) ने 60 भारतीयों के साथ हुए जातिगत असमानता के अनुभवों को प्रकाशित किया था.
अमरीकी कंपनी सिस्को में एक दलित कर्मचारी के साथ कथित भेदभाव
क़ानून में प्रावधान
भारत में दलितों की सुरक्षा के लिए अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 मौजूद है.
इसके तहत एससी और एसटी वर्ग के सदस्यों के ख़िलाफ़ किए गए अपराधों का निपटारा किया जाता है.
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तस्वीरेंइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
इसमें अपराधों के संबंध में मुकदमा चलाने और दंड देने से लेकर पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वास देने का प्रावधान किया गया है.
साथ ही ऐसे मामलों के तेज़ी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन भी किया जाता है.
इसके अलावा अस्पृश्यता पर रोक लगाने के लिए अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 बनाया गया था जिसे बाद में बदलकर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम कर दिया गया.
इसके तहत छुआछूत के प्रयोग एवं उसे बढ़ावा देने वाले मामलों में दंड का प्रावधान है.
लेकिन जानकार बताते हैं, कुछ मामले तो मीडिया और राजनीतिक पार्टियों के हस्तक्षेप के कारण सबकी नज़र में आ जाते हैं लेकिन कई तो पुलिस थानों में दर्ज़ भी नहीं हो पाते.
ऐसे में समस्या कहां है, क्या क़ानून कमज़ोर है या उसे बनाने और लागू करने वालों की इच्छा शक्ति में कमी है?
‘’जागरूकता की कीमत’’
दलित आंदोलनइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
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दलित हिंसा के लिए जानकार सामाजिक और राजनीतिक कारणों को ज़िम्मेदार मानते हैं.
दलित चिंतक चंद्रभान प्रसाद इसे दलितों में आ रही जागरूकता और मज़बूती की कीमत बताते हैं.
वो कहते हैं, “पहले दलितों पर हिंसक हमले नहीं होते थे. पहले छोटी-मोटी मारपीट की घटनाएं होती थीं. लेकिन, हिंसक वारदातें पिछले 10-15 सालों में बढ़ी हैं. जैसे-जैसे दलितों की तरक्की हो रही है वैसे-वैसे उन पर हमले बढ़ रहे हैं. यह क़ानूनी समस्या नहीं है बल्कि सामाजिक समस्या है."
चंद्रभान प्रसाद बताते हैं कि अमरीका में एक समय पर काले लोगों की चौराहों पर लिंचिंग होने लगी थी और यह सिलसिला 50 साल तक चला था.
उन्होंने बताया, "अमरीका में काले लोगों लिंचिंग तब शुरू होती है जब एक जनवरी, 1863 को अब्राहम लिंकन दासता उन्मूलन की घोषणा करते हैं. यानी जब तक काले किसी के गुलाम थे तब तक सुरक्षित थे क्योंकि वे किसी की संपत्ति थे. उनकी लिचिंग गुलामी के दौरान नहीं होती थी, उन पर किसी तरह की हिंसा होती भी थी तो केवल मालिक ही कर सकता था. कोई दूसरा गोरा आदमी आकर उनपर हमला नहीं कर सकता था क्योंकि मालिक अपनी संपत्ति की रक्षा करता था."
"जब काले लोगों को आज़ादी मिली तब उनकी लिंचिंग शुरू हुई. ठीक उसी तरह से भारत में संविधान और विभिन्न संस्थाओं के चलते जो आज़ादी दलितों को पिछले 73 साल में मिली है, उन्हें उसका मूल्य चुकाना पड़ रहा है और ये हिंसा आने वाले दिनों में बढ़ेगी."
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वहीं, दलित नेता उदित राज कहते हैं कि सबसे पहले लोगों को ये स्वीकार करना होगा कि जातिगत भेदभाव होता है क्योंकि आज कई पढ़े-लिखे लोग भी ये मानने को तैयार नहीं होते.
उदित राज बीजेपी पर आरोप लगाते हैं कि सरकार निजीकरण लाकर आरक्षण की व्यवस्था ख़त्म करके इस असमानता को और बढ़ा रही है.
वो कहते हैं,"मौजूदा सरकार में नौकरशाहों के बीच डर ख़त्म हुआ है. जब नेताओं को ही दलितों की चिंता नहीं होगी तो इसका दबाव नौकरशाही पर कैसे बनाएंगे. "
ख़ाली पड़े अहम पद
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में अध्यक्ष पद लंबे समय से खाली पड़े हैं.
सरकार की ओर से इन पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है. ये संस्थाएं अनुसूचित जाति और जनजातियों के ख़िलाफ़ हो रहे अत्याचार पर नज़र रखती हैं.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोगों की वेबसाइट पर भी अध्यक्ष के अलावा कई अन्य पद वैकेंट (रिक्त) दिखाई देते हैं.
उदित राज कहते हैं, “इन संस्थाओं की ऐसी स्थिति सरकार की इनके प्रति गंभीरता को दिखाती है. अगर सरकार वाकई दलितों को लेकर चिंतित होती तो क्या इतने महत्वूपर्ण पद भरे नहीं जाते? एक तरह से आप इन संस्थाओं को कमज़ोर ही कर रहे हैं.“
“पहले ही ये संस्थाएं बहुत ताकतवर नहीं हैं. इनके पास ना तो वित्तीय ताकत है और ना ही नियुक्तियां करने की स्वतंत्रता. इस कामों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की भूमिका होती है. लेकिन, फिर भी ये संस्थाएं दबाव बनाने का काम करती हैं और ऐसे मामलों में पुलिस-प्रशासन से जवाब मांग सकती हैं.”
दलित रैलीइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
हर स्तर पर भेदभाव
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशकवीएन राय का मानना है कि समस्या क़ानून में नहीं बल्कि उनके क्रियान्वयन में है.
वीएन राय कहते हैं, “हमारे देश में क़ानून तो बहुत हैं लेकिन समस्या सामाजिक मूल्यों की है. अब भी ऊंची जाति के लोग दलितों को मनुष्यों का और बराबरी का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं हैं. इसमें परिवर्तन हो रहा है लेकिन वो बहुत धीमा है.
“मीडिया, पुलिस महकमा, न्याय व्यवस्था सब जगह सोचने का तरीका अभी पूरी तरह बदला नहीं है. पुलिस स्टेशन पहली जगह है जहां कोई पीड़ित जाता है लेकिन कई बार वहां पर उसे बेरुखी मिलती है. न्याय पाना गरीबों के लिए हमेशा मुश्किल होता है और दलितों का एक बड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमज़ोर है.”
वीएन राय सुझाव देते हैं कि इसमें बदलाव के लिए सबसे पहले दलितों की आर्थिक स्थिति में सुधार किए जाने की ज़रूरत है.
वो कहते हैं कि गांवों में ज़मीन या संपत्ति का बंटवारा होना चाहिए ताकि वो भी आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकें. इसके अलावा अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना भी ज़रूरी है जिससे जाति की बेड़ियां टूट सकें.
पुलिस में क्या सुधार हो? इसके जवाब में वो कहते हैं कि पुलिस के व्यवहार में सुधार की बहुत ज़रूरत है, अपराध दर्ज कर कार्रवाई करना ही काफी नहीं है बल्कि ये काम संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ किया जाना भी ज़रूरी है.
न्यूज़ पोर्टल के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया: पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले और इसमें रूचि रखने वाले लोगों के लिए ये ब्लॉग विशेष रहने वाला है क्योंकि हम आज इसमें न्यूज़ पोर्टल के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में बात करने वाले हैं। एवं न्यूज़ पोर्टल रजिस्ट्रेशन से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में बात करने वाले हैं जिसके बारे में युवा पत्रकारों को बिलकुल भी जानकारी नहीं है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ? न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
जैसा कि आप जानते हैं तमाम अख़बार, मैगजीन एवं न्यूज़ चैनल खुद को बड़ा ब्रांड बनाने के लिए सरकारी रजिस्ट्रेशन कि प्रक्रिया अपनाते हैं। लेकिन मॉडर्न मीडिया यानी के डिजिटल पत्रकारिता से जुड़ी चीजें जैसे कि न्यूज़ पोर्टल , यूट्यूब चैनल के लिए भी ये उतना ही जरूरी है या नहीं इसके बारे में अक्सर लोगों को जानकरी नहीं होती है। इस सम्बन्ध में एक नाम आता है RNI , जिसमें पत्रकरों को रूचि लेते देखा जा सकता है। लेकिन हम आपको बता दें कि एक न्यूज़ पोर्टल को RNI रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत नहीं है।
RNI का मतलब होता है “( Registrar of Newspaper of India )” यानी की इसका न्यूज़ पोर्टल से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि संचार और सूचना मंत्रालय द्वारा न्यूज़ पोर्टल के लिए RNI रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है। यहां तक कि Google को भी इससे कोई समस्या नहीं है, यह सभी को किसी भी माध्यम से चाहे वह सोशल मीडिया हो या वेबसाइट, इंटरनेट पर स्वतंत्र रूप से जानकारी साझा करने की अनुमति देता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप बिना रजिस्ट्रेशन के दौड़ते हैं। हालाँकि यदि आप अपने न्यूज़ पोर्टल का कानूनी रूप से उपयोग करना चाहते हैं तो आप इसे एमएसएमई(MSME) या जनसंपर्क कार्यालय में पंजीकृत कर सकते हैं।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
RNI रजिस्ट्रेशन उन लोगों को करवाना होगा जो एक ही समय में एक प्रिंट मीडिया (समाचार पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तिकाएं) और एक समाचार पोर्टल चलाना चाहते हैं। अब अगर आप खुद को इस श्रेणी में पाते हैं तो चलिए जानते हैं इसके प्रोसेस के बारे में।
RNI का मतलब है “( Registrar of Newspaper of India )” , यानी कि भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार का कार्यालय जो भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार (आरएनआई) के रूप में जाना जाता है। यह प्रकाशनों के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भारत सरकार का वैधानिक तरीका है। साल 1953 में भारत के प्रथम प्रेस आयोग की सलाह पर और प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 में संशोधन किया गया जिसे आधिकारिक रूप से 1 जुलाई 1956 को अधिनियम में जोड़ा गया।
इसका कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है। RNI मुख्य रूप से प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट, 1867 और न्यूजपेपर्स (सेंट्रल) रूल्स, 1956 के आधार पर अखबारों की प्रिंटिंग और बुक की वीडियो डिस्प्ले यूनिट्स को रेगुलेट और वीडियो डिस्प्ले करता है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
RNI रजिस्ट्रेशन करना बहुत ही आसान है जिससे आप आसानी से अप्रूवल प्राप्त कर सकते हैं। सबसे पहले, आपको अपने न्यूज पेपर, मैगजीन, न्यूज पोर्टल आदि का टाइटल वेरिफिकेशन करना होगा। जिसके लिए आपको अखबार के पांच नाम पहले से तैयार करने होंगे। आपके द्वारा चुना गया नाम ऐसा होना चाहिए कि आज तक किसी ने इसका इस्तेमाल न किया हो और न ही उस नाम से कोई अख़बार या पत्रिका प्रकाशित हुई हो।
सबसे पहले आपको 5 नाम चाहिए जिन्हें आप वेरीफाई करना चाहते हैं
स्वामी के आधार कार्ड की स्कैन कॉपी
मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो 6 महीने पुराना नहीं होना चाहिए
मालिक का भारतीय मोबाइल नंबर
मालिक का पता प्रमाण दस्तावेज
भौतिक पता जहां से समाचार पत्र प्रकाशित किया जाएगा
RNI रजिस्ट्रेशन का फॉर्म कैसे भरें
Step 1: आरएनआई की आधिकारिक वेबसाइट www.rni.nic.in पर लॉग ऑन करें।
Step 2: “आरएनआई दिशानिर्देश” के तहत शीर्षक सत्यापन के लिए दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
Step 3: वेबसाइट के होम पेज पर ऑनलाइन शीर्षक आवेदन के लिंक पर क्लिक करें।
Step 4: ऑनलाइन आवेदन भरने के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और आवेदन करने के लिए आगे बढ़ें।
Step 5: सभी अनिवार्य फ़ील्ड भरें (आवेदन भरते समय कार्यात्मक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रदान की जानी चाहिए)।
Step 6: आवेदन करें और विधिवत भरे हुए आवेदन पत्र का प्रिंटआउट लें।
(आवेदन को फिर से प्रिंट करने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो मुद्रित कोड नोट करें।)
Step 7: आवेदन को संबंधित प्राधिकरण (डीएम / डीसी / एसडीएम / डीसीपी / जेसीपी / सीएमएम आदि) को भेजें।
(i) दिल्ली क्षेत्र में डीसीपी एकमात्र अग्रेषण प्राधिकरण होगा।
Step 8: आवेदन को संबंधित प्राधिकारी द्वारा उचित नाम, हस्ताक्षर और अग्रेषण प्राधिकारी की मुहर के साथ आरएनआई को अग्रेषित किया जाएगा।
(i) आरएनआई संबंधित प्राधिकारी द्वारा विधिवत अग्रेषित हार्ड कॉपी प्राप्त होने पर ही आवेदन पर कार्रवाई करेगा।
(ii) आवेदक को सलाह दी जाती है कि वे विधिवत हस्ताक्षरित आवेदन की एक प्रति अपने पास रखें और भविष्य के संदर्भ के लिए आरएनआई को अग्रेषित करें।
Step 9: आरएनआई द्वारा संबंधित प्राधिकारी को अग्रेषित आवेदन की हार्ड कॉपी प्राप्त होने के बाद, आवेदक को उसके मोबाइल नंबर और ईमेल पर भेजे गए आरएनआई संदर्भ संख्या (आवेदन संख्या) के माध्यम से आवेदन प्राप्त होने की सूचना दी जाएगी।
Step 10: आवेदक को भविष्य की किसी भी जांच के लिए आरएनआई संदर्भ संख्या को सहेजना चाहिए।
Step 11: आवेदक आरएनआई वेबसाइट पर आवेदन की स्थिति की जांच या तो अग्रेषण प्राधिकारी द्वारा दिए गए डीएम नंबर या आरएनआई संदर्भ संख्या प्रदान करके कर सकता है।
Step 12: आवेदक आरएनआई की आधिकारिक वेबसाइट से शीर्षक सत्यापन पत्र / शीर्षक गैर-अनुमोदन पत्र / विसंगति पत्र भी डाउनलोड कर सकते हैं।
शीर्षक सत्यापित होने के बाद, शीर्षक के डी-ब्लॉकिंग / रद्दीकरण को रोकने के लिए, सत्यापन की तारीख से दो साल के भीतर आवेदक को शीर्षक के डी-ब्लॉकिंग/निरस्तीकरण को रोकने के लिए रजिस्टर होना होगा।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
MSME रजिस्ट्रेशन भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसमें सूक्ष्म, लघु-मध्यम वर्ग के उद्यमी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन कर सकते है। इसके दो भाग हैं; विनिर्माण उद्यमी और सेवा उद्यमी, और इसका रजिस्ट्रेशन इसके लिए पंजीकरण निःशुल्क है।
भारत में, MSME रजिस्ट्रेशन के लिए विभिन्न श्रेणियां विभाजित हैं। सभी श्रेणियों को निवेश के आधार पर बांटा गया है। आपके व्यवसाय में शामिल उपकरणों और मशीनरी की कीमत के अनुसार आपकी श्रेणी तय की जाती है।
सूक्ष्म निवेश 25 लाख रुपये से कम होना चाहिए
छोटा निवेश 5 करोड़ रुपए से कम होना चाहिए
मध्यम निवेश 10 करोड़ रुपये से कम होना चाहिए
सूक्ष्म निवेश 10 लाख रुपये से कम होना चाहिए
छोटा निवेश 2 करोड़ रुपए से कम होना चाहिए
मध्यम निवेश 5 करोड़ रुपये से कम होना चाहिए
आत्मनिर्भर भारत के मिशन के बाद, इन मानदंडों को भारत सरकार द्वारा संशोधित किया गया है। भारत सरकार ने MSME रजिस्ट्रेशन के दो तरिके निर्धारित किए हैं। ये तरीके इस प्रकार हैं:
उन नए उद्यमियों के लिए जिन्होंने MSME में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है
और उनके लिए है जिन्होंने EM-II या UAM के रूप में पंरजिस्टर किया है या यह उन लोगों के लिए जो EM-II के रूप में रजिस्टर करना चाहते हैं
MSME के रजिस्ट्रेशन के लिए आपके पास सिर्फ आधार कार्ड होना जरूरी है। पूरा पंजीकरण ऑनलाइन होगा इसलिए हम समय-समय पर अपने ग्राहकों के साथ सभी अपडेट साझा करते हैं। पैन और जीएसटी से संबंधित विवरण सीधे उत्तम पंजीकरण पोर्टल से लिए जाते हैं। तो आपको किसी भी विवरण के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन(ISO) एक प्रमाणन है जो प्रमाणित करता है कि एक दस्तावेज़ीकरण, निर्माण प्रक्रिया, निर्माण प्रणाली, या सेवा में गुणवत्ता आश्वासन और मानकीकरण के लिए सभी आवश्यकताएं हैं। यह मुख्य रूप से उत्पादों और प्रणालियों की गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करता है।
ISO रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज
कंपनी की प्रोफाइल
कंपनी का लेटरहेड
बिक्री और खरीद बिल की प्रति
कंपनी का पता प्रमाण
कंपनी का पैन कार्ड
कंपनी का विजिटिंग कार्ड
भारत में ISO रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया के लिए एक पूर्व निर्धारित प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, हमने निम्नलिखित में पूरी प्रक्रिया के चरणों का उल्लेख किया है:
आईएसओ प्रमाणन के प्रकार को चुनना
दस्तावेज़ जमा करना
आईएसओ ऑडिट आपके व्यवसाय के विवरण की जांच या सत्यापन के लिए, तीन प्रकार के ऑडिट होते हैं। पहली पार्टी, दूसरी पार्टी और तीसरी पार्टी।
कूरियर के माध्यम से प्राप्त आईएसओ प्रमाण पत्र भी आपको वर्ष में एक बार अपने आईएसओ को नवीनीकृत करने की आवश्यकता है। अगर आप भूल जाते हैं कि हम इससे भी छुटकारा पाने में आपकी मदद करेंगे, तो आप हमसे संपर्क करें।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पंजीकरण उन लोगों के लिए पसंद किया जाता है जो एक छोटा व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं। एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में पंजीकरण करने के लिए, इसमें कम से कम दो निदेशक और दो शेयरधारक होने चाहिए।
Step 1. एक डीएससी (डिजिटल हस्ताक्षर) प्राप्त करना
Step 2. डीआईएन के लिए आवेदन (प्रत्यक्ष पहचान संख्या)
Step 3. कंपनी के नाम की स्वीकृति
Step 4. SPICe का फॉर्म जमा करना
Step 5. ई-एओए (आईएनसी-34) और ई-एमओए (आईएनसी-33)/इलेक्ट्रॉनिक ज्ञापन प्रस्तुत करना
Step 6. पैन और टैन जमा करना
इन सभी तरीकों से आप अपने न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। साथ ही आपको कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना है ताकि आप पर क़ानूनी कार्यवाई ना हो जैसे कि:
आपको भ्रामक खबरें नहीं प्रकाशित करनी है
किसी दूसरे द्वारा रजिस्टर किया हुआ नाम इस्तेमाल नहीं करना है
आप अपने निजी लाभ के लिए “प्रेस” शब्द लिखकर नहीं घूम सकते
न्यूज़ पोर्टल का इस्तेमाल आप किसी का नाम खराब करने के लिए या किसी विशेष के ही प्रमोशन के लिए नहीं कर सकते
निजी जानकारी वाली खबरों में विशेष ध्यान देना है
ऐसी जानकारी जो पब्लिक नहीं की जानी चाहिए उसे निजी हित के लिए इस्तेमाल नहीं करना है
Also: RNI Registration for Online News Portal in 2024
अगर आप उपरोक्त चीजों पर ध्यान नहीं देंगे तो आप पर google एवं भारत सरकार द्वारा कार्यवाई की जा सकती है। अगर आप न्यूज़ पोर्टल बनवाना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।
UP Politics: बसपा नेता शाह आलम गुड्डू जमाली ने कहा कि 2024 का चुनाव देश के लिए काफी अहम है. हम संकल्प लेते हैं कि प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर कब्जा कर मायावती को प्रधानमंत्री बनाएंगे.
BSP leader Guddu Jamali claims Mayawati will become Prime Minister in lok sabha election 2024 ann UP Politics: ऐसा हुआ तो 2024 में मायावती बनेंगी प्रधानमंत्री, बसपा नेता गुड्डू जमाली ने किया दावा
UP Politics: उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी अनुसूचित जाति और मुस्लिम के साथ पिछड़ों और अति पिछड़ों को भी अपने पक्ष में करने की मुहिम में जुट गई है, जिसके लिए चौहान सम्मेलन के जरिए पार्टी ने नया समीकरण साधने की कोशिश तेज कर दी हैं. बसपा की ओर से आजमगढ़ में चौहान युवा मंच व अखिल भारतीय चौहान महासभा के तत्वाधान में विधानसभा क्षेत्र मुबारकपुर के शाहगढ के एक मैरिज हाल में रविवार को एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया.
बसपा के इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली और विशिष्ट अतिथि पूर्व एमएलसी डॉक्टर विजय प्रताप, हरिशचंद्र गौतम, वीरेंद्र चौहान ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में गुड्डू जमाली ने दावा किया कि 2024 का चुनाव बहुत अहम होने जा रहा है. इन चुनावों में बसपा की जीत होगी और बहन मायावती देश की प्रधानमंत्री बनेंगी. उन्होंने कहा कि देश में भाईचारा बना कर रखें, एक दूसरे की मदद कनेर से ही देश का भला होगा.
इस कार्यक्रम की शुरुआत में डॉक्टर भीम राव अंबेडकर बाबा साहब, सम्राट पृथ्वीराज चौहान और मान्यवर कांशी राम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि एवं पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली ने कहा कि यह एक विचार गोष्ठी कार्यक्रम है. इसमें समाज को जागरूक होने की जरूरत है. समाज को शिक्षा के प्रति ईमानदारी रखनी होगी. तभी समाज अपने हक की लड़ाई लड़ सकेगा. बाबा साहब ने समाज के सभी लोगों को एक बड़ी ताकत दिया हैं. अपने महापुरुषों के बलिदान को याद कीजिए. देश में भाई चारा बनाए रखें. एक दूसरे की मदद करे तभी इस देश का भला हो सकता हैं.
शाह आलम गुड्डू जमाली ने कहा कि 2024 का चुनाव देश के लिए काफी अहम है और आज हम सब यहां संकल्प लेते हैं कि लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सदर सीट सहित उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटों पर कब्जा करके बहन कुमारी मायावती जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे. उन्होंने हाल में आजमगढ़ दौरे पर आए गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी के बयानों पर कहा कि हर राजनीतिक दल के नेता अपने पक्ष की बात करते हैं उन्होंने भी किया, इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
अपने लक्षित दर्शकों की पहचान करें और ऐसी सामग्री बनाएं जो उन्हें आकर्षित करे । एक डोमेन नाम और होस्टिंग चुनें: एक ऐसा डोमेन नाम चुनें जो आपके ब्रांड को दर्शाता हो और याद रखने में आसान हो। अपनी वेबसाइट होस्ट करने के लिए वेब होस्टिंग सेवाएँ खरीदें। एक सामग्री रणनीति विकसित करें: अपनी सामग्री की योजना बनाने के लिए एक संपादकीय कैलेंडर बनाएं।
एक समाचार पोर्टल समाचारों तक पहुंच का एक माध्यम है; इसे आम तौर पर समाचार स्रोत के लिए इंटरनेट कनेक्शन के रूप में माना जाता है, लेकिन "पोर्टल" की परिभाषा में समाचार पत्र, पत्रिका या समाचार तक कोई अन्य पहुंच शामिल होगी।
Step 1: आरएनआई की आधिकारिक वेबसाइट www.rni.nic.in पर लॉग ऑन करें। Step 2: “आरएनआई दिशानिर्देश” के तहत शीर्षक सत्यापन के लिए दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। Step 3: वेबसाइट के होम पेज पर ऑनलाइन शीर्षक आवेदन के लिंक पर क्लिक करें। Step 4: ऑनलाइन आवेदन भरने के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और आवेदन करने के लिए आगे बढ़ें।
चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) एक भारतीय वकील दलित-बहुजन अधिकार कार्यकर्ता और राजनेता हैं. वह एक अम्बेडकरवादी हैं जो भीम आर्मी के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं (Co-founder and National President of Bhim Army). फरवरी 2021 में, टाइम पत्रिका ने उन्हें 100 उभरते नेताओं की अपनी
वार्षिक सूची में शामिल किया था. चंद्रशेखर आजाद का जन्म 3 दिसंबर 1986 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के छुतमलपुर कस्बे में गोवर्धन दास और कमलेश देवी के यहां हुआ था (Chandrashekhar Azad Family). उनके पिता गोवर्धन दास एक सरकारी स्कूल के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल थे. आजाद एक बहुजन नेता के रूप में गांव के बाहर लगे एक होर्डिंग के बाद चर्चा में आए, जिस पर लिखा था कि "गडखौली के महान चमार आपका स्वागत करते हैं" (The Great Chamars of Ghadkhauli Welcome You). आजाद, सतीश कुमार और विनय रतन सिंह ने 2014 में भीम आर्मी की स्थापना की थी यह संगठन भारत में शिक्षा के माध्यम से दलितों की मुक्ति के लिए काम करता है (Azad, Satish, and Vinay founded Bhim Army). 2019 में, उन्होंने मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने सपा/बसपा गठबंधन को समर्थन देते हुए हाथ खींच लिया. आजाद ने खुद को दलित आइकन के रूप में स्थापित किया है और वह अपनी शैली के लिए जाने जाते हैं. हाथरस रेप केस (Hathras Rape Case) में आजाद और उनके समर्थकों ने लगातार विरोध प्रदर्शन करके अपनी सार्वजनिक मंच पर अपनी उस्थिति दर्ज की. इस दौरान आजाद को उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिरासत में लिया. कृषि बिल (Farm Bills) के विरोध में आजाद अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में शामिल हो गए थे. इस मामले में भी उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया था. आजाद ने चुनावी राजनीति में भाग लेने के लिए 2020 में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) (Azad Samaj Party) की स्थापना की जिसने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया. उन्हें सहारनपुर हिंसा की घटना के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) के तहत गिरफ्तार किया था. दिल्ली में सीएए (CAA) के खिलाफ विरोध मार्च के दौरान चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था. देश की नालायक बीजेपी सरकार ने आजाद पर गलत तरीके से कई गंभीर आरोप लगाया लेकिन आजाद के आगे सरकार को हार मानना पड़ा अ है बहुजन की ताकत हमारी पोस्ट अची लगे तो आगे भेजो और बहुजन को जगाने का काम करें धन्यवाद
(FAQ)
एक वर्डप्रेस वेबसाइट को बनवाने के लिए आपको सबसे पहले होस्टिंग और डोमेन की आवश्यकता होती है। यदि आपके पास पहले से ही डोमेन और होस्टिंग है, तो आप किसी भी वेब डेवलपर से अपनी वेबसाइट को कम से कम 8000-10000 रुपये में बनवा सकते हैं।
सबसे सरल रूप में, एक वेब डिज़ाइनर वह होता है जो किसी वेबसाइट का डिज़ाइन बनाता है। इतना ही। इसे वास्तव में कार्यात्मक बनाने और इंटरनेट पर लाइव करने का कार्य वेब डेवलपर के एक अलग कार्य शीर्षक के अंतर्गत है।
अगर आपने पहले ही प्रोफ़ाइल पर दावा कर दिया है, तो वेबसाइट बनाने के लिए यह तरीका अपनाएं:
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आप Acode या QuickEdit जैसे कोड एडिटर ऐप्स का उपयोग करके मोबाइल पर HTML वेबपेज बना सकते हैं। ये ऐप्स आपको सीधे अपने फ़ोन पर कोड लिखने और संपादित करने की अनुमति देते हैं। आप एक नई फ़ाइल बनाते हैं, अपना HTML कोड लिखते हैं, और फ़ाइल को . एचटीएमएल एक्सटेंशन.
इस सवाल का कोई विशेष जवाब नहीं है कि किसी ऐप की कीमत कितनी है क्योंकि यह असंख्य कारकों पर निर्भर करता है। ऐप की जटिलता और सुविधाओं के आधार पर औसत ऐप विकास लागत Rs. 15,000 से Rs. 150,000 के बीच हो सकती है।
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ब्यूरोः उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में आज यानी सोमवार सुबह एक भीषण हादसा है। हादसे में स्कूल बस और वैन की टक्कर हो गई, जिसमें चालक और 4 बच्चों की मौत हो गई। वहीं, हादसे में 16 बच्चे घायल हुए हैं। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार म्याऊं थाना क्षेत्र में स्कूल बस और वैन में टक्कर हो गई। इस हादसे में बस चालक और 4 छात्रों की मौत हुई है। 16 छात्र घायल बताए गए हैं। इस हादसे की सूचना मिलने पर डीएम मनोज कुमार और पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। घायल बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है और मृत लोगों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
इस हादसे को लेकर डीएम मनोज कुमार ने कहा कि स्कूल बस और वैन की टक्कर में चालक और 4 छात्रों की मौत हुई है और 16 छात्र घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उचित उपचार के लिए चिकित्सकों को निर्देश दिए गए हैं।
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कमलेश
चेहरा नीच करके बैठीं एक महिलाइमेज स्रोत,© HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES
चेहरा नीच करके बैठीं एक महिला
दलित युवकों की डंडों से की पिटाई... दलित लड़की के साथ रेप... दलितों के मंदिर में घुसने पर रोक... जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव की ऐसी ख़बरें नई नहीं लगतीं.
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की एक दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और हत्या का मामला भी ऐसी ही एक सुर्खी बनकर आया.
और एक बार फिर दलितों के उत्पीड़न पर सवाल उठने लगे. कहा गया कि आज़ादी के 73 सालों बाद भी आज दलित सामनता के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
हर साल कई ऐसे घटनाएं होती हैं जो दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा की कहानी बयां करती हैं.
राजस्थान में डंगावास में दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा (2015), रोहित वेमुला (2016), तमिलनाडु में 17 साल की दलित लड़की का गैंगरेप और हत्या (2016), तेज़ म्यूज़िक के चलते सहारनपुर हिंसा (2017), भीमा कोरेगांव (2018) और डॉक्टर पायल तड़वी की आत्महत्या (2019), इन मामलों की पूरे देश में चर्चा हुई लेकिन सिलसिला फिर भी रुका नहीं.
इस बात की तस्दीक़ करते हैं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़े, जो बताते हैं कि दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार के मामले कम होने के बजाय बढ़े हैं.
2019 में बढ़े दलितों पर अत्याचार के मामले
एनसीआरबी ने हाल ही में भारत में अपराध के साल 2019 के आँकड़े जारी किए जिनके मुताबिक अनुसूचित जातियों के साथ अपराध के मामलों में साल 2019 में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
जहां 2018 में 42,793 मामले दर्ज हुए थे वहीं, 2019 में 45,935 मामले सामने आए.
इनमें सामान्य मारपीट के 13,273 मामले, अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) क़ानून के तहत 4,129 मामले और रेप के 3,486 मामले दर्ज हुए हैं.
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सिर पर हाथ रखकर बैठा व्यक्तिइमेज स्रोत,HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES
राज्यों में सबसे ज़्यादा मामले 2378 उत्तर प्रदेश में और सबसे कम एक मामला मध्य प्रदेश में दर्ज किया गया.
सबसे बड़ा सवाल- दलितों पर अत्याचार, कुछ तो करो सरकार | Sandeep Chaudhary के साथ LIVE मोदी के न्यू इंडिया मे सबसे बड़े गुनाह 1) दलित होना 2) किसान होना 3) लड़की होना 4) युवा होना
इसके अलावा जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में एससी/एसटी अधिनियम में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराध में साल 2019 में 26.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
जहां 2018 में 6,528 मामले सामने आए थे वहीं, 2019 में 8,257 मामले दर्ज हुए हैं.
दलितों के साथ भेदभाव के मामले भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सामने आ रहे हैं.
कैलिफ़ोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ़ फ़ेयर इंप्लायमेंट और हाउसिंग ने सिस्को कंपनी में एक दलित कर्मचारी के साथ जातिगत भेदभाव करने के चलते 30 जून को मुक़दमा दर्ज कराया था.
इसके एक दिन बाद अमरीका स्थित आंबेडकर किंग स्टडी सर्किल (एकेएससी) ने 60 भारतीयों के साथ हुए जातिगत असमानता के अनुभवों को प्रकाशित किया था.
अमरीकी कंपनी सिस्को में एक दलित कर्मचारी के साथ कथित भेदभाव
क़ानून में प्रावधान
भारत में दलितों की सुरक्षा के लिए अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 मौजूद है.
इसके तहत एससी और एसटी वर्ग के सदस्यों के ख़िलाफ़ किए गए अपराधों का निपटारा किया जाता है.
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तस्वीरेंइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
इसमें अपराधों के संबंध में मुकदमा चलाने और दंड देने से लेकर पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वास देने का प्रावधान किया गया है.
साथ ही ऐसे मामलों के तेज़ी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन भी किया जाता है.
इसके अलावा अस्पृश्यता पर रोक लगाने के लिए अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 बनाया गया था जिसे बाद में बदलकर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम कर दिया गया.
इसके तहत छुआछूत के प्रयोग एवं उसे बढ़ावा देने वाले मामलों में दंड का प्रावधान है.
लेकिन जानकार बताते हैं, कुछ मामले तो मीडिया और राजनीतिक पार्टियों के हस्तक्षेप के कारण सबकी नज़र में आ जाते हैं लेकिन कई तो पुलिस थानों में दर्ज़ भी नहीं हो पाते.
ऐसे में समस्या कहां है, क्या क़ानून कमज़ोर है या उसे बनाने और लागू करने वालों की इच्छा शक्ति में कमी है?
‘’जागरूकता की कीमत’’
दलित आंदोलनइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
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दिनभर
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर (Dinbhar)
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दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
दलित हिंसा के लिए जानकार सामाजिक और राजनीतिक कारणों को ज़िम्मेदार मानते हैं.
दलित चिंतक चंद्रभान प्रसाद इसे दलितों में आ रही जागरूकता और मज़बूती की कीमत बताते हैं.
वो कहते हैं, “पहले दलितों पर हिंसक हमले नहीं होते थे. पहले छोटी-मोटी मारपीट की घटनाएं होती थीं. लेकिन, हिंसक वारदातें पिछले 10-15 सालों में बढ़ी हैं. जैसे-जैसे दलितों की तरक्की हो रही है वैसे-वैसे उन पर हमले बढ़ रहे हैं. यह क़ानूनी समस्या नहीं है बल्कि सामाजिक समस्या है."
चंद्रभान प्रसाद बताते हैं कि अमरीका में एक समय पर काले लोगों की चौराहों पर लिंचिंग होने लगी थी और यह सिलसिला 50 साल तक चला था.
उन्होंने बताया, "अमरीका में काले लोगों लिंचिंग तब शुरू होती है जब एक जनवरी, 1863 को अब्राहम लिंकन दासता उन्मूलन की घोषणा करते हैं. यानी जब तक काले किसी के गुलाम थे तब तक सुरक्षित थे क्योंकि वे किसी की संपत्ति थे. उनकी लिचिंग गुलामी के दौरान नहीं होती थी, उन पर किसी तरह की हिंसा होती भी थी तो केवल मालिक ही कर सकता था. कोई दूसरा गोरा आदमी आकर उनपर हमला नहीं कर सकता था क्योंकि मालिक अपनी संपत्ति की रक्षा करता था."
"जब काले लोगों को आज़ादी मिली तब उनकी लिंचिंग शुरू हुई. ठीक उसी तरह से भारत में संविधान और विभिन्न संस्थाओं के चलते जो आज़ादी दलितों को पिछले 73 साल में मिली है, उन्हें उसका मूल्य चुकाना पड़ रहा है और ये हिंसा आने वाले दिनों में बढ़ेगी."
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वहीं, दलित नेता उदित राज कहते हैं कि सबसे पहले लोगों को ये स्वीकार करना होगा कि जातिगत भेदभाव होता है क्योंकि आज कई पढ़े-लिखे लोग भी ये मानने को तैयार नहीं होते.
उदित राज बीजेपी पर आरोप लगाते हैं कि सरकार निजीकरण लाकर आरक्षण की व्यवस्था ख़त्म करके इस असमानता को और बढ़ा रही है.
वो कहते हैं,"मौजूदा सरकार में नौकरशाहों के बीच डर ख़त्म हुआ है. जब नेताओं को ही दलितों की चिंता नहीं होगी तो इसका दबाव नौकरशाही पर कैसे बनाएंगे. "
ख़ाली पड़े अहम पद
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में अध्यक्ष पद लंबे समय से खाली पड़े हैं.
सरकार की ओर से इन पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है. ये संस्थाएं अनुसूचित जाति और जनजातियों के ख़िलाफ़ हो रहे अत्याचार पर नज़र रखती हैं.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोगों की वेबसाइट पर भी अध्यक्ष के अलावा कई अन्य पद वैकेंट (रिक्त) दिखाई देते हैं.
उदित राज कहते हैं, “इन संस्थाओं की ऐसी स्थिति सरकार की इनके प्रति गंभीरता को दिखाती है. अगर सरकार वाकई दलितों को लेकर चिंतित होती तो क्या इतने महत्वूपर्ण पद भरे नहीं जाते? एक तरह से आप इन संस्थाओं को कमज़ोर ही कर रहे हैं.“
“पहले ही ये संस्थाएं बहुत ताकतवर नहीं हैं. इनके पास ना तो वित्तीय ताकत है और ना ही नियुक्तियां करने की स्वतंत्रता. इस कामों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की भूमिका होती है. लेकिन, फिर भी ये संस्थाएं दबाव बनाने का काम करती हैं और ऐसे मामलों में पुलिस-प्रशासन से जवाब मांग सकती हैं.”
दलित रैलीइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
हर स्तर पर भेदभाव
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशकवीएन राय का मानना है कि समस्या क़ानून में नहीं बल्कि उनके क्रियान्वयन में है.
वीएन राय कहते हैं, “हमारे देश में क़ानून तो बहुत हैं लेकिन समस्या सामाजिक मूल्यों की है. अब भी ऊंची जाति के लोग दलितों को मनुष्यों का और बराबरी का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं हैं. इसमें परिवर्तन हो रहा है लेकिन वो बहुत धीमा है.
“मीडिया, पुलिस महकमा, न्याय व्यवस्था सब जगह सोचने का तरीका अभी पूरी तरह बदला नहीं है. पुलिस स्टेशन पहली जगह है जहां कोई पीड़ित जाता है लेकिन कई बार वहां पर उसे बेरुखी मिलती है. न्याय पाना गरीबों के लिए हमेशा मुश्किल होता है और दलितों का एक बड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमज़ोर है.”
वीएन राय सुझाव देते हैं कि इसमें बदलाव के लिए सबसे पहले दलितों की आर्थिक स्थिति में सुधार किए जाने की ज़रूरत है.
वो कहते हैं कि गांवों में ज़मीन या संपत्ति का बंटवारा होना चाहिए ताकि वो भी आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकें. इसके अलावा अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना भी ज़रूरी है जिससे जाति की बेड़ियां टूट सकें.
पुलिस में क्या सुधार हो? इसके जवाब में वो कहते हैं कि पुलिस के व्यवहार में सुधार की बहुत ज़रूरत है, अपराध दर्ज कर कार्रवाई करना ही काफी नहीं है बल्कि ये काम संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ किया जाना भी ज़रूरी है.
न्यूज़ पोर्टल के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया: पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले और इसमें रूचि रखने वाले लोगों के लिए ये ब्लॉग विशेष रहने वाला है क्योंकि हम आज इसमें न्यूज़ पोर्टल के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में बात करने वाले हैं। एवं न्यूज़ पोर्टल रजिस्ट्रेशन से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में बात करने वाले हैं जिसके बारे में युवा पत्रकारों को बिलकुल भी जानकारी नहीं है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ? न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
जैसा कि आप जानते हैं तमाम अख़बार, मैगजीन एवं न्यूज़ चैनल खुद को बड़ा ब्रांड बनाने के लिए सरकारी रजिस्ट्रेशन कि प्रक्रिया अपनाते हैं। लेकिन मॉडर्न मीडिया यानी के डिजिटल पत्रकारिता से जुड़ी चीजें जैसे कि न्यूज़ पोर्टल , यूट्यूब चैनल के लिए भी ये उतना ही जरूरी है या नहीं इसके बारे में अक्सर लोगों को जानकरी नहीं होती है। इस सम्बन्ध में एक नाम आता है RNI , जिसमें पत्रकरों को रूचि लेते देखा जा सकता है। लेकिन हम आपको बता दें कि एक न्यूज़ पोर्टल को RNI रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत नहीं है।
RNI का मतलब होता है “( Registrar of Newspaper of India )” यानी की इसका न्यूज़ पोर्टल से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि संचार और सूचना मंत्रालय द्वारा न्यूज़ पोर्टल के लिए RNI रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है। यहां तक कि Google को भी इससे कोई समस्या नहीं है, यह सभी को किसी भी माध्यम से चाहे वह सोशल मीडिया हो या वेबसाइट, इंटरनेट पर स्वतंत्र रूप से जानकारी साझा करने की अनुमति देता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप बिना रजिस्ट्रेशन के दौड़ते हैं। हालाँकि यदि आप अपने न्यूज़ पोर्टल का कानूनी रूप से उपयोग करना चाहते हैं तो आप इसे एमएसएमई(MSME) या जनसंपर्क कार्यालय में पंजीकृत कर सकते हैं।
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RNI रजिस्ट्रेशन उन लोगों को करवाना होगा जो एक ही समय में एक प्रिंट मीडिया (समाचार पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तिकाएं) और एक समाचार पोर्टल चलाना चाहते हैं। अब अगर आप खुद को इस श्रेणी में पाते हैं तो चलिए जानते हैं इसके प्रोसेस के बारे में।
RNI का मतलब है “( Registrar of Newspaper of India )” , यानी कि भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार का कार्यालय जो भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार (आरएनआई) के रूप में जाना जाता है। यह प्रकाशनों के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भारत सरकार का वैधानिक तरीका है। साल 1953 में भारत के प्रथम प्रेस आयोग की सलाह पर और प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 में संशोधन किया गया जिसे आधिकारिक रूप से 1 जुलाई 1956 को अधिनियम में जोड़ा गया।
इसका कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है। RNI मुख्य रूप से प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट, 1867 और न्यूजपेपर्स (सेंट्रल) रूल्स, 1956 के आधार पर अखबारों की प्रिंटिंग और बुक की वीडियो डिस्प्ले यूनिट्स को रेगुलेट और वीडियो डिस्प्ले करता है।
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RNI रजिस्ट्रेशन करना बहुत ही आसान है जिससे आप आसानी से अप्रूवल प्राप्त कर सकते हैं। सबसे पहले, आपको अपने न्यूज पेपर, मैगजीन, न्यूज पोर्टल आदि का टाइटल वेरिफिकेशन करना होगा। जिसके लिए आपको अखबार के पांच नाम पहले से तैयार करने होंगे। आपके द्वारा चुना गया नाम ऐसा होना चाहिए कि आज तक किसी ने इसका इस्तेमाल न किया हो और न ही उस नाम से कोई अख़बार या पत्रिका प्रकाशित हुई हो।
सबसे पहले आपको 5 नाम चाहिए जिन्हें आप वेरीफाई करना चाहते हैं
स्वामी के आधार कार्ड की स्कैन कॉपी
मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो 6 महीने पुराना नहीं होना चाहिए
मालिक का भारतीय मोबाइल नंबर
मालिक का पता प्रमाण दस्तावेज
भौतिक पता जहां से समाचार पत्र प्रकाशित किया जाएगा
RNI रजिस्ट्रेशन का फॉर्म कैसे भरें
Step 1: आरएनआई की आधिकारिक वेबसाइट www.rni.nic.in पर लॉग ऑन करें।
Step 2: “आरएनआई दिशानिर्देश” के तहत शीर्षक सत्यापन के लिए दिशा-निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
Step 3: वेबसाइट के होम पेज पर ऑनलाइन शीर्षक आवेदन के लिंक पर क्लिक करें।
Step 4: ऑनलाइन आवेदन भरने के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और आवेदन करने के लिए आगे बढ़ें।
Step 5: सभी अनिवार्य फ़ील्ड भरें (आवेदन भरते समय कार्यात्मक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रदान की जानी चाहिए)।
Step 6: आवेदन करें और विधिवत भरे हुए आवेदन पत्र का प्रिंटआउट लें।
(आवेदन को फिर से प्रिंट करने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो मुद्रित कोड नोट करें।)
Step 7: आवेदन को संबंधित प्राधिकरण (डीएम / डीसी / एसडीएम / डीसीपी / जेसीपी / सीएमएम आदि) को भेजें।
(i) दिल्ली क्षेत्र में डीसीपी एकमात्र अग्रेषण प्राधिकरण होगा।
Step 8: आवेदन को संबंधित प्राधिकारी द्वारा उचित नाम, हस्ताक्षर और अग्रेषण प्राधिकारी की मुहर के साथ आरएनआई को अग्रेषित किया जाएगा।
(i) आरएनआई संबंधित प्राधिकारी द्वारा विधिवत अग्रेषित हार्ड कॉपी प्राप्त होने पर ही आवेदन पर कार्रवाई करेगा।
(ii) आवेदक को सलाह दी जाती है कि वे विधिवत हस्ताक्षरित आवेदन की एक प्रति अपने पास रखें और भविष्य के संदर्भ के लिए आरएनआई को अग्रेषित करें।
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शीर्षक सत्यापित होने के बाद, शीर्षक के डी-ब्लॉकिंग / रद्दीकरण को रोकने के लिए, सत्यापन की तारीख से दो साल के भीतर आवेदक को शीर्षक के डी-ब्लॉकिंग/निरस्तीकरण को रोकने के लिए रजिस्टर होना होगा।
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MSME रजिस्ट्रेशन भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जिसमें सूक्ष्म, लघु-मध्यम वर्ग के उद्यमी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन कर सकते है। इसके दो भाग हैं; विनिर्माण उद्यमी और सेवा उद्यमी, और इसका रजिस्ट्रेशन इसके लिए पंजीकरण निःशुल्क है।
भारत में, MSME रजिस्ट्रेशन के लिए विभिन्न श्रेणियां विभाजित हैं। सभी श्रेणियों को निवेश के आधार पर बांटा गया है। आपके व्यवसाय में शामिल उपकरणों और मशीनरी की कीमत के अनुसार आपकी श्रेणी तय की जाती है।
सूक्ष्म निवेश 25 लाख रुपये से कम होना चाहिए
छोटा निवेश 5 करोड़ रुपए से कम होना चाहिए
मध्यम निवेश 10 करोड़ रुपये से कम होना चाहिए
सूक्ष्म निवेश 10 लाख रुपये से कम होना चाहिए
छोटा निवेश 2 करोड़ रुपए से कम होना चाहिए
मध्यम निवेश 5 करोड़ रुपये से कम होना चाहिए
आत्मनिर्भर भारत के मिशन के बाद, इन मानदंडों को भारत सरकार द्वारा संशोधित किया गया है। भारत सरकार ने MSME रजिस्ट्रेशन के दो तरिके निर्धारित किए हैं। ये तरीके इस प्रकार हैं:
उन नए उद्यमियों के लिए जिन्होंने MSME में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है
और उनके लिए है जिन्होंने EM-II या UAM के रूप में पंरजिस्टर किया है या यह उन लोगों के लिए जो EM-II के रूप में रजिस्टर करना चाहते हैं
MSME के रजिस्ट्रेशन के लिए आपके पास सिर्फ आधार कार्ड होना जरूरी है। पूरा पंजीकरण ऑनलाइन होगा इसलिए हम समय-समय पर अपने ग्राहकों के साथ सभी अपडेट साझा करते हैं। पैन और जीएसटी से संबंधित विवरण सीधे उत्तम पंजीकरण पोर्टल से लिए जाते हैं। तो आपको किसी भी विवरण के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन(ISO) एक प्रमाणन है जो प्रमाणित करता है कि एक दस्तावेज़ीकरण, निर्माण प्रक्रिया, निर्माण प्रणाली, या सेवा में गुणवत्ता आश्वासन और मानकीकरण के लिए सभी आवश्यकताएं हैं। यह मुख्य रूप से उत्पादों और प्रणालियों की गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करता है।
ISO रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज
कंपनी की प्रोफाइल
कंपनी का लेटरहेड
बिक्री और खरीद बिल की प्रति
कंपनी का पता प्रमाण
कंपनी का पैन कार्ड
कंपनी का विजिटिंग कार्ड
भारत में ISO रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया के लिए एक पूर्व निर्धारित प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, हमने निम्नलिखित में पूरी प्रक्रिया के चरणों का उल्लेख किया है:
आईएसओ प्रमाणन के प्रकार को चुनना
दस्तावेज़ जमा करना
आईएसओ ऑडिट आपके व्यवसाय के विवरण की जांच या सत्यापन के लिए, तीन प्रकार के ऑडिट होते हैं। पहली पार्टी, दूसरी पार्टी और तीसरी पार्टी।
कूरियर के माध्यम से प्राप्त आईएसओ प्रमाण पत्र भी आपको वर्ष में एक बार अपने आईएसओ को नवीनीकृत करने की आवश्यकता है। अगर आप भूल जाते हैं कि हम इससे भी छुटकारा पाने में आपकी मदद करेंगे, तो आप हमसे संपर्क करें।
न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? RNI रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है या नहीं ?
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पंजीकरण उन लोगों के लिए पसंद किया जाता है जो एक छोटा व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं। एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में पंजीकरण करने के लिए, इसमें कम से कम दो निदेशक और दो शेयरधारक होने चाहिए।
Step 1. एक डीएससी (डिजिटल हस्ताक्षर) प्राप्त करना
Step 2. डीआईएन के लिए आवेदन (प्रत्यक्ष पहचान संख्या)
Step 3. कंपनी के नाम की स्वीकृति
Step 4. SPICe का फॉर्म जमा करना
Step 5. ई-एओए (आईएनसी-34) और ई-एमओए (आईएनसी-33)/इलेक्ट्रॉनिक ज्ञापन प्रस्तुत करना
Step 6. पैन और टैन जमा करना
इन सभी तरीकों से आप अपने न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। साथ ही आपको कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना है ताकि आप पर क़ानूनी कार्यवाई ना हो जैसे कि:
आपको भ्रामक खबरें नहीं प्रकाशित करनी है
किसी दूसरे द्वारा रजिस्टर किया हुआ नाम इस्तेमाल नहीं करना है
आप अपने निजी लाभ के लिए “प्रेस” शब्द लिखकर नहीं घूम सकते
न्यूज़ पोर्टल का इस्तेमाल आप किसी का नाम खराब करने के लिए या किसी विशेष के ही प्रमोशन के लिए नहीं कर सकते
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ऐसी जानकारी जो पब्लिक नहीं की जानी चाहिए उसे निजी हित के लिए इस्तेमाल नहीं करना है
Also: RNI Registration for Online News Portal in 2024
अगर आप उपरोक्त चीजों पर ध्यान नहीं देंगे तो आप पर google एवं भारत सरकार द्वारा कार्यवाई की जा सकती है। अगर आप न्यूज़ पोर्टल बनवाना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।
UP Politics: बसपा नेता शाह आलम गुड्डू जमाली ने कहा कि 2024 का चुनाव देश के लिए काफी अहम है. हम संकल्प लेते हैं कि प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर कब्जा कर मायावती को प्रधानमंत्री बनाएंगे.
BSP leader Guddu Jamali claims Mayawati will become Prime Minister in lok sabha election 2024 ann UP Politics: ऐसा हुआ तो 2024 में मायावती बनेंगी प्रधानमंत्री, बसपा नेता गुड्डू जमाली ने किया दावा
UP Politics: उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी अनुसूचित जाति और मुस्लिम के साथ पिछड़ों और अति पिछड़ों को भी अपने पक्ष में करने की मुहिम में जुट गई है, जिसके लिए चौहान सम्मेलन के जरिए पार्टी ने नया समीकरण साधने की कोशिश तेज कर दी हैं. बसपा की ओर से आजमगढ़ में चौहान युवा मंच व अखिल भारतीय चौहान महासभा के तत्वाधान में विधानसभा क्षेत्र मुबारकपुर के शाहगढ के एक मैरिज हाल में रविवार को एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया.
बसपा के इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली और विशिष्ट अतिथि पूर्व एमएलसी डॉक्टर विजय प्रताप, हरिशचंद्र गौतम, वीरेंद्र चौहान ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में गुड्डू जमाली ने दावा किया कि 2024 का चुनाव बहुत अहम होने जा रहा है. इन चुनावों में बसपा की जीत होगी और बहन मायावती देश की प्रधानमंत्री बनेंगी. उन्होंने कहा कि देश में भाईचारा बना कर रखें, एक दूसरे की मदद कनेर से ही देश का भला होगा.
इस कार्यक्रम की शुरुआत में डॉक्टर भीम राव अंबेडकर बाबा साहब, सम्राट पृथ्वीराज चौहान और मान्यवर कांशी राम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि एवं पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली ने कहा कि यह एक विचार गोष्ठी कार्यक्रम है. इसमें समाज को जागरूक होने की जरूरत है. समाज को शिक्षा के प्रति ईमानदारी रखनी होगी. तभी समाज अपने हक की लड़ाई लड़ सकेगा. बाबा साहब ने समाज के सभी लोगों को एक बड़ी ताकत दिया हैं. अपने महापुरुषों के बलिदान को याद कीजिए. देश में भाई चारा बनाए रखें. एक दूसरे की मदद करे तभी इस देश का भला हो सकता हैं.
शाह आलम गुड्डू जमाली ने कहा कि 2024 का चुनाव देश के लिए काफी अहम है और आज हम सब यहां संकल्प लेते हैं कि लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सदर सीट सहित उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटों पर कब्जा करके बहन कुमारी मायावती जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे. उन्होंने हाल में आजमगढ़ दौरे पर आए गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी के बयानों पर कहा कि हर राजनीतिक दल के नेता अपने पक्ष की बात करते हैं उन्होंने भी किया, इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
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चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) एक भारतीय वकील दलित-बहुजन अधिकार कार्यकर्ता और राजनेता हैं. वह एक अम्बेडकरवादी हैं जो भीम आर्मी के सह-संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं (Co-founder and National President of Bhim Army). फरवरी 2021 में, टाइम पत्रिका ने उन्हें 100 उभरते नेताओं की अपनी
वार्षिक सूची में शामिल किया था. चंद्रशेखर आजाद का जन्म 3 दिसंबर 1986 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के छुतमलपुर कस्बे में गोवर्धन दास और कमलेश देवी के यहां हुआ था (Chandrashekhar Azad Family). उनके पिता गोवर्धन दास एक सरकारी स्कूल के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल थे. आजाद एक बहुजन नेता के रूप में गांव के बाहर लगे एक होर्डिंग के बाद चर्चा में आए, जिस पर लिखा था कि "गडखौली के महान चमार आपका स्वागत करते हैं" (The Great Chamars of Ghadkhauli Welcome You). आजाद, सतीश कुमार और विनय रतन सिंह ने 2014 में भीम आर्मी की स्थापना की थी यह संगठन भारत में शिक्षा के माध्यम से दलितों की मुक्ति के लिए काम करता है (Azad, Satish, and Vinay founded Bhim Army). 2019 में, उन्होंने मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने सपा/बसपा गठबंधन को समर्थन देते हुए हाथ खींच लिया. आजाद ने खुद को दलित आइकन के रूप में स्थापित किया है और वह अपनी शैली के लिए जाने जाते हैं. हाथरस रेप केस (Hathras Rape Case) में आजाद और उनके समर्थकों ने लगातार विरोध प्रदर्शन करके अपनी सार्वजनिक मंच पर अपनी उस्थिति दर्ज की. इस दौरान आजाद को उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिरासत में लिया. कृषि बिल (Farm Bills) के विरोध में आजाद अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में शामिल हो गए थे. इस मामले में भी उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया था. आजाद ने चुनावी राजनीति में भाग लेने के लिए 2020 में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) (Azad Samaj Party) की स्थापना की जिसने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया. उन्हें सहारनपुर हिंसा की घटना के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) के तहत गिरफ्तार किया था. दिल्ली में सीएए (CAA) के खिलाफ विरोध मार्च के दौरान चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था. देश की नालायक बीजेपी सरकार ने आजाद पर गलत तरीके से कई गंभीर आरोप लगाया लेकिन आजाद के आगे सरकार को हार मानना पड़ा अ है बहुजन की ताकत हमारी पोस्ट अची लगे तो आगे भेजो और बहुजन को जगाने का काम करें धन्यवाद
(FAQ)
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ब्यूरोः उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में आज यानी सोमवार सुबह एक भीषण हादसा है। हादसे में स्कूल बस और वैन की टक्कर हो गई, जिसमें चालक और 4 बच्चों की मौत हो गई। वहीं, हादसे में 16 बच्चे घायल हुए हैं। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार म्याऊं थाना क्षेत्र में स्कूल बस और वैन में टक्कर हो गई। इस हादसे में बस चालक और 4 छात्रों की मौत हुई है। 16 छात्र घायल बताए गए हैं। इस हादसे की सूचना मिलने पर डीएम मनोज कुमार और पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। घायल बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है और मृत लोगों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
इस हादसे को लेकर डीएम मनोज कुमार ने कहा कि स्कूल बस और वैन की टक्कर में चालक और 4 छात्रों की मौत हुई है और 16 छात्र घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उचित उपचार के लिए चिकित्सकों को निर्देश दिए गए हैं।
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कमलेश
चेहरा नीच करके बैठीं एक महिलाइमेज स्रोत,© HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES
चेहरा नीच करके बैठीं एक महिला
दलित युवकों की डंडों से की पिटाई... दलित लड़की के साथ रेप... दलितों के मंदिर में घुसने पर रोक... जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव की ऐसी ख़बरें नई नहीं लगतीं.
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की एक दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और हत्या का मामला भी ऐसी ही एक सुर्खी बनकर आया.
और एक बार फिर दलितों के उत्पीड़न पर सवाल उठने लगे. कहा गया कि आज़ादी के 73 सालों बाद भी आज दलित सामनता के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
हर साल कई ऐसे घटनाएं होती हैं जो दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा की कहानी बयां करती हैं.
राजस्थान में डंगावास में दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा (2015), रोहित वेमुला (2016), तमिलनाडु में 17 साल की दलित लड़की का गैंगरेप और हत्या (2016), तेज़ म्यूज़िक के चलते सहारनपुर हिंसा (2017), भीमा कोरेगांव (2018) और डॉक्टर पायल तड़वी की आत्महत्या (2019), इन मामलों की पूरे देश में चर्चा हुई लेकिन सिलसिला फिर भी रुका नहीं.
इस बात की तस्दीक़ करते हैं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़े, जो बताते हैं कि दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार के मामले कम होने के बजाय बढ़े हैं.
2019 में बढ़े दलितों पर अत्याचार के मामले
एनसीआरबी ने हाल ही में भारत में अपराध के साल 2019 के आँकड़े जारी किए जिनके मुताबिक अनुसूचित जातियों के साथ अपराध के मामलों में साल 2019 में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
जहां 2018 में 42,793 मामले दर्ज हुए थे वहीं, 2019 में 45,935 मामले सामने आए.
इनमें सामान्य मारपीट के 13,273 मामले, अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) क़ानून के तहत 4,129 मामले और रेप के 3,486 मामले दर्ज हुए हैं.
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सिर पर हाथ रखकर बैठा व्यक्तिइमेज स्रोत,HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES
राज्यों में सबसे ज़्यादा मामले 2378 उत्तर प्रदेश में और सबसे कम एक मामला मध्य प्रदेश में दर्ज किया गया.
सबसे बड़ा सवाल- दलितों पर अत्याचार, कुछ तो करो सरकार | Sandeep Chaudhary के साथ LIVE मोदी के न्यू इंडिया मे सबसे बड़े गुनाह 1) दलित होना 2) किसान होना 3) लड़की होना 4) युवा होना
इसके अलावा जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में एससी/एसटी अधिनियम में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराध में साल 2019 में 26.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
जहां 2018 में 6,528 मामले सामने आए थे वहीं, 2019 में 8,257 मामले दर्ज हुए हैं.
दलितों के साथ भेदभाव के मामले भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सामने आ रहे हैं.
कैलिफ़ोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ़ फ़ेयर इंप्लायमेंट और हाउसिंग ने सिस्को कंपनी में एक दलित कर्मचारी के साथ जातिगत भेदभाव करने के चलते 30 जून को मुक़दमा दर्ज कराया था.
इसके एक दिन बाद अमरीका स्थित आंबेडकर किंग स्टडी सर्किल (एकेएससी) ने 60 भारतीयों के साथ हुए जातिगत असमानता के अनुभवों को प्रकाशित किया था.
अमरीकी कंपनी सिस्को में एक दलित कर्मचारी के साथ कथित भेदभाव
क़ानून में प्रावधान
भारत में दलितों की सुरक्षा के लिए अनुसूचित जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 मौजूद है.
इसके तहत एससी और एसटी वर्ग के सदस्यों के ख़िलाफ़ किए गए अपराधों का निपटारा किया जाता है.
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तस्वीरेंइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
इसमें अपराधों के संबंध में मुकदमा चलाने और दंड देने से लेकर पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वास देने का प्रावधान किया गया है.
साथ ही ऐसे मामलों के तेज़ी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन भी किया जाता है.
इसके अलावा अस्पृश्यता पर रोक लगाने के लिए अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 बनाया गया था जिसे बाद में बदलकर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम कर दिया गया.
इसके तहत छुआछूत के प्रयोग एवं उसे बढ़ावा देने वाले मामलों में दंड का प्रावधान है.
लेकिन जानकार बताते हैं, कुछ मामले तो मीडिया और राजनीतिक पार्टियों के हस्तक्षेप के कारण सबकी नज़र में आ जाते हैं लेकिन कई तो पुलिस थानों में दर्ज़ भी नहीं हो पाते.
ऐसे में समस्या कहां है, क्या क़ानून कमज़ोर है या उसे बनाने और लागू करने वालों की इच्छा शक्ति में कमी है?
‘’जागरूकता की कीमत’’
दलित आंदोलनइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
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दिनभर
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर (Dinbhar)
वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
दलित हिंसा के लिए जानकार सामाजिक और राजनीतिक कारणों को ज़िम्मेदार मानते हैं.
दलित चिंतक चंद्रभान प्रसाद इसे दलितों में आ रही जागरूकता और मज़बूती की कीमत बताते हैं.
वो कहते हैं, “पहले दलितों पर हिंसक हमले नहीं होते थे. पहले छोटी-मोटी मारपीट की घटनाएं होती थीं. लेकिन, हिंसक वारदातें पिछले 10-15 सालों में बढ़ी हैं. जैसे-जैसे दलितों की तरक्की हो रही है वैसे-वैसे उन पर हमले बढ़ रहे हैं. यह क़ानूनी समस्या नहीं है बल्कि सामाजिक समस्या है."
चंद्रभान प्रसाद बताते हैं कि अमरीका में एक समय पर काले लोगों की चौराहों पर लिंचिंग होने लगी थी और यह सिलसिला 50 साल तक चला था.
उन्होंने बताया, "अमरीका में काले लोगों लिंचिंग तब शुरू होती है जब एक जनवरी, 1863 को अब्राहम लिंकन दासता उन्मूलन की घोषणा करते हैं. यानी जब तक काले किसी के गुलाम थे तब तक सुरक्षित थे क्योंकि वे किसी की संपत्ति थे. उनकी लिचिंग गुलामी के दौरान नहीं होती थी, उन पर किसी तरह की हिंसा होती भी थी तो केवल मालिक ही कर सकता था. कोई दूसरा गोरा आदमी आकर उनपर हमला नहीं कर सकता था क्योंकि मालिक अपनी संपत्ति की रक्षा करता था."
"जब काले लोगों को आज़ादी मिली तब उनकी लिंचिंग शुरू हुई. ठीक उसी तरह से भारत में संविधान और विभिन्न संस्थाओं के चलते जो आज़ादी दलितों को पिछले 73 साल में मिली है, उन्हें उसका मूल्य चुकाना पड़ रहा है और ये हिंसा आने वाले दिनों में बढ़ेगी."
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क्यों दलितों और सवर्णों के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है?
वहीं, दलित नेता उदित राज कहते हैं कि सबसे पहले लोगों को ये स्वीकार करना होगा कि जातिगत भेदभाव होता है क्योंकि आज कई पढ़े-लिखे लोग भी ये मानने को तैयार नहीं होते.
उदित राज बीजेपी पर आरोप लगाते हैं कि सरकार निजीकरण लाकर आरक्षण की व्यवस्था ख़त्म करके इस असमानता को और बढ़ा रही है.
वो कहते हैं,"मौजूदा सरकार में नौकरशाहों के बीच डर ख़त्म हुआ है. जब नेताओं को ही दलितों की चिंता नहीं होगी तो इसका दबाव नौकरशाही पर कैसे बनाएंगे. "
ख़ाली पड़े अहम पद
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में अध्यक्ष पद लंबे समय से खाली पड़े हैं.
सरकार की ओर से इन पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है. ये संस्थाएं अनुसूचित जाति और जनजातियों के ख़िलाफ़ हो रहे अत्याचार पर नज़र रखती हैं.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोगों की वेबसाइट पर भी अध्यक्ष के अलावा कई अन्य पद वैकेंट (रिक्त) दिखाई देते हैं.
उदित राज कहते हैं, “इन संस्थाओं की ऐसी स्थिति सरकार की इनके प्रति गंभीरता को दिखाती है. अगर सरकार वाकई दलितों को लेकर चिंतित होती तो क्या इतने महत्वूपर्ण पद भरे नहीं जाते? एक तरह से आप इन संस्थाओं को कमज़ोर ही कर रहे हैं.“
“पहले ही ये संस्थाएं बहुत ताकतवर नहीं हैं. इनके पास ना तो वित्तीय ताकत है और ना ही नियुक्तियां करने की स्वतंत्रता. इस कामों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की भूमिका होती है. लेकिन, फिर भी ये संस्थाएं दबाव बनाने का काम करती हैं और ऐसे मामलों में पुलिस-प्रशासन से जवाब मांग सकती हैं.”
दलित रैलीइमेज स्रोत,GETTY IMAGES
हर स्तर पर भेदभाव
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशकवीएन राय का मानना है कि समस्या क़ानून में नहीं बल्कि उनके क्रियान्वयन में है.
वीएन राय कहते हैं, “हमारे देश में क़ानून तो बहुत हैं लेकिन समस्या सामाजिक मूल्यों की है. अब भी ऊंची जाति के लोग दलितों को मनुष्यों का और बराबरी का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं हैं. इसमें परिवर्तन हो रहा है लेकिन वो बहुत धीमा है.
“मीडिया, पुलिस महकमा, न्याय व्यवस्था सब जगह सोचने का तरीका अभी पूरी तरह बदला नहीं है. पुलिस स्टेशन पहली जगह है जहां कोई पीड़ित जाता है लेकिन कई बार वहां पर उसे बेरुखी मिलती है. न्याय पाना गरीबों के लिए हमेशा मुश्किल होता है और दलितों का एक बड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमज़ोर है.”
वीएन राय सुझाव देते हैं कि इसमें बदलाव के लिए सबसे पहले दलितों की आर्थिक स्थिति में सुधार किए जाने की ज़रूरत है.
वो कहते हैं कि गांवों में ज़मीन या संपत्ति का बंटवारा होना चाहिए ताकि वो भी आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकें. इसके अलावा अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना भी ज़रूरी है जिससे जाति की बेड़ियां टूट सकें.
पुलिस में क्या सुधार हो? इसके जवाब में वो कहते हैं कि पुलिस के व्यवहार में सुधार की बहुत ज़रूरत है, अपराध दर्ज कर कार्रवाई करना ही काफी नहीं है बल्कि ये काम संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ किया जाना भी ज़रूरी है.
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